जवाहरलाल नेहरु (नवंबर १४, १८८९ - मई २७, १९६४) क जनम उत्तर प्रदेश की इलाहाबाद में भइल रहे। उहाँ के भारत की स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा लिहलीं आ स्वतंत्र भारत क पहिला प्रधानमन्त्री बनलीं। जीवन परिचय जवाहर लाल नेहरू क पैदाइश इलाहाबाद में एगो धनी-मानी वकील मोतीलाल नेहरू की घरे भइल। उहाँ की माता जी क नाँव स्वरूप रानी नेहरू रहे। उहाँ के मोतीलाल नेहरू क एकलौता लरिका रहलीं। जवाहिरलाल की अलावा अलावा मोती लाल नेहरू क तीन गो लड़िकी रहलीं। नेहरू जी कश्मीरी वंश क सारस्वत ब्राह्मण रहलें। अपनी माता पिता की संघे नेहरू 1890 में हैरो स्कूल में नेहरू जवाहरलाल नेहरू आपन स्कूली शिक्षा हैरो से, आ कॉलेज क शिक्षा ट्रिनिटी कॉलेज, लंदन से पढले रहलीं। एकरी बाद ऊ वकालत क डिग्री कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से पूरा कइलें। इंग्लैंड में उहाँ क सात साल रहल रहलीं जेवना से उहाँ की फैबियन समाजवाद आ आयरिश राष्ट्रवाद में रूचि पैदा भइल। जवाहरलाल नेहरू 1912 में भारत लवट के वकालत शुरू कइलें। 1916 में उनकर बियाह कमला नेहरू की संघे भइल। 1917 में जवाहर लाल नेहरू होम रुल लीग में शामिल हो गइलें। राजनीति में उनकर असली दीक्षा दू साल बाद 1919 में भइल जब ऊ महात्मा गाँधी की संपर्क में अइलें। ओ समय महात्मा गांधी रॉलेट अधिनियम क बिरोध करत रहलें। नेहरू, महात्मा गांधी की सक्रिय लेकिन शांतिपूर्ण, सविनय अवज्ञा आंदोलन की प्रति बहुत रूचि लिहले। नेहरू अपना परिवारो के महात्मा गांधी की उपदेशों की अनुसार बना लिहलें। जवाहरलाल और मोतीलाल नेहरू पश्चिमी कपड़ा आ महंगी संपत्ति क त्याग क दिहल लोग। ऊ लोग अब खादी कुर्ता आ गाँधी टोपी पहिने लागल लोग। जवाहर लाल नेहरू 1920-1922 में असहयोग आंदोलन में सक्रिय हिस्सा लिहलें आ एही की दौरान पहिली बेर उनके गिरफ्तार कइल गइल। कुछ महीना की बाद उनके रिहा कर दिहल गइल। इलाहाबाद हाइकोर्ट में वकील नेहरू जवाहरलाल नेहरू 1924 में इलाहाबाद नगर निगम के अध्यक्ष चुनल गइलें आ दू बरिस ले ए पड़ पर रहलें। 1926 में ब्रिटिश अधिकारी लोगन से सहयोग की कमी क हवाला देके इस्तीफा दे दिहलें। 1926 से 1928 ले, जवाहरलाल अखिल भारतीय कांग्रेस समिति क महासचिव की रूप में सेवा कइलें। 1928-29 में, कांग्रेस की वार्षिक सत्र क आयोजन मोतीलाल नेहरू की अध्यक्षता में भइल। एही सत्र में जवाहरलाल नेहरू आ सुभाष चन्द्र बोस दूनो जना पूरा राजनीतिक स्वतंत्रता की मांग क समर्थन कइल लोग, जबकि मोतीलाल नेहरू आ अउरी नेता लोग ब्रिटिश साम्राज्य की छत्रछाया में रहते एगो प्रभुत्व सम्पन्न राज्य की मांग का समर्थनकइल लोग। ए मुद्दा के हल करे खातिर गाँधीजी बिचा में क रास्ता निकाल के कहलें कि ब्रिटेन के भारत के राज्य क दर्जा देवे खातिर दू बरिस क समय दिहल जाई आ अगर अइसन ना भइल तब कांग्रेस पूर्ण राजनीतिक स्वतंत्रता खातिर एगो राष्ट्रीय संघर्ष शुरू करी। नेहरू आ बोस ई मांग कइल लोग कि ए समय के कम कर के एक साल कर दिहल जाय लेकिन ब्रिटिश सरकार एकर कौनो जवाब ना दिहलस। दिसम्बर 1929 में, कांग्रेस क वार्षिक अधिवेशन लाहौर में आयोजित कइल गइल आ एही में जवाहरलाल नेहरू कांग्रेस पार्टी क अध्यक्ष चुनल गइलें। एअही सत्र में प्रस्ताव पारित भइल जेवना में 'पूर्ण स्वराज्य' क मांग कइल गइल। 26 जनवरी, 1930 के लाहौर में जवाहरलाल नेहरू स्वतंत्र भारत का झंडा फहरवलें। गांधियो जी 1930 में सविनय अवज्ञा आंदोलन का आह्वान कइलें। आंदोलन बहुत सफल रहल आ ई ब्रिटिश सरकार के प्रमुख राजनीतिक सुधार की आवश्यकता के स्वीकार करे खातिर मजबूर कइ दिहलस। जब ब्रिटिश सरकार भारत अधिनियम 1935 प्रख्यापित कइलस तब कांग्रेस पार्टी चुनाव लड़ला क फैसला कइलस। नेहरू चुनाव से बाहर रहलें लेकिन बाहर से जोर-सोर से पार्टी खातिर राष्ट्रव्यापी अभियान चलवलें। कांग्रेस लगभग हर प्रांत में सरकारन क गठन कइलस आ केन्द्रीय असेंबली में सबसे ढेर सीटन पर जीतल। नेहरू कांग्रेस की अध्यक्ष पद खातिर 1936 आ 1937 में चुनल गइलें। उनकरा के 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन की दौरान गिरफ्तारो कइल गइल आ 1945 में छोड दिहल गइल। 1947 में भारत आ पाकिस्तान की आजादी की समय नेहरू जी अंग्रेजी सरकार की साथे भइल बातचीत में महत्वपूर्ण भागीदारी कइलें। भारत क प्रथम प्रधानमंत्री सन् १९४७ में भारत के आजादी मिलला पर जब भावी प्रधानमंत्री खातिर कांग्रेस में मतदान भइल तब सरदार पटेल के सबसे ढेर मत मिलल। उनकी बाद सर्वाधिक मत आचार्य कृपलानी के मिलल रहे। बाकी गांधीजी की कहला पर सरदार पटेल आ आचार्य कृपलानी नाँव वापस ले लिहल लोग आ जवाहर लाल नेहरू के प्रधानमंत्री बनावल गइल। 1947 में नेहरू जी आजाद भारत क पहिला प्रधानमंत्री बनलें। अंग्रेज लोग करीब 500 देशी रियासतन के एक्के संघे स्वतंत्र कइले रहे लोग आ ओ समय ए सगरी रियासतन के एगो राज्य में शामिल कइल सभसे बड़ चुनौती रहे। जवाहरलाल नेहरू आधुनिक भारत की निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभवलें। ऊहे योजना आयोग क गठन कइलें, विज्ञान आ प्रौद्योगिकी की विकास के प्रोत्साहित कइलें आ तीन लगातार पंचवर्षीय योजना क शुभारंभ कइलें। उनकी नीति की कारण देश में कृषि आ उद्योग क एगो नया युग शुरु भइल। नेहरू जी भारत की विदेश नीति की विकास में प्रमुख भूमिका निभवलें। जवाहर लाल नेहरू जोसिप बरोज़ टिटो आ अब्दुल गमाल नासिर की संघे मिलके एशिया आ अफ्रीका में उपनिवेशवाद खतम करे खातिर एगो गुट निरपेक्ष आंदोलन बनवलें। वह कोरियाई युद्ध क अंत करे खातिर, स्वेज नहर विवाद सुलझावे खातिर, आ कांगो समझौता जइसन अन्य अंतरराष्ट्रीय समस्या कुल की समाधान में मध्यस्थ रहलें। पश्चिम बर्लिन, ऑस्ट्रिया, आ लाओस नियर कई गो अउरी विस्फोटक मुद्दा कुल की समाधान में उनका महत्वपूर्ण योगदान रहे। उनके साल 1955 में भारत रत्न से सम्मनित कइल गइल। बाकी नेहरू पाकिस्तान आ चीन की संघे भारत की संबंधन में सुधार ना कर पवलें। पाकिस्तान की संघे समझौता तक पहुँचले में कश्मीर मुद्दा आ चीन की संघे मित्रता में सीमा विवाद रोड़ा साबित भइल। नेहरू चीन की ओर मित्रता क हाथ भी बढवलें, लेकिन 1962 में चीन धोखा से आक्रमण क के नेहरू के एगो अइसन बड़ झटका दिहलस कि शायद उनकर मौत भी एही कारण से भइल। 27 मई, 1964 के जवाहरलाल नेहरू क दिल क दौरा पडल आ उनकर मौत हो गइल। |
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